ज़िन्दगी मौक़ा नहीं देती
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ख़ौफ़ के साये में ज़िन्दगी को तलाशती हूँ
ढेरों सवाल हैं पर जवाब नहीं
हर पल हर लम्हा एक इम्तहान से गुज़रती हूँ
ख़्वाहिशें इतनी कि पूरी नहीं होती
कमबख़्त, ये ज़िन्दगी मौक़ा नहीं देती।
- जेन्नी शबनम (24. 1. 2009)
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ख़ौफ़ के साये में ज़िन्दगी को तलाशती हूँ
ढेरों सवाल हैं पर जवाब नहीं
हर पल हर लम्हा एक इम्तहान से गुज़रती हूँ
ख़्वाहिशें इतनी कि पूरी नहीं होती
कमबख़्त, ये ज़िन्दगी मौक़ा नहीं देती।
- जेन्नी शबनम (24. 1. 2009)
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19 टिप्पणियां:
Haan! Sach hee to hai! Zindagee aksar hee mauqa nahee detee!
jeevan aesa hi hai .hum dhundhte rahjate hain.aur vo chhupti rahti hai
rachana
zindagi mauka deti hai- kabhi kabhi...
ख्वाहिशें इतनी कि पूरी नहीं होती
कमबख्त, ये जिंदगी मौका नहीं देती|
इन पंक्तियों में जो आकुलता है , यही जीवन है । ख्वाहिशे ही आदमी को ज़िन्दा रखती हैं । बहुत सुन्दर !
ख्वाहिशें इतनी कि पूरी नहीं होती
कमबख्त, ये जिंदगी मौका नहीं देती|
kitna kuch kah diya......wo bhi itni sunderta ke saath.
bilkul sahi kaha apne jindgi mauka nhi deti... bhut hi bhaavpur panktiya...
ख्वाहिशें इतनी कि पूरी नहीं होती
कमबख्त, ये जिंदगी मौका नहीं देती|
sach hai!!
aabhar
Fani Raj
आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
हर पल, हर लम्हा
एक इम्तहान से गुजरती हूँ,
बहुत सुन्दर ||
आभार ||
bahut hee khoobsurat hai...mauka milegaa!!
ख्वाहिशें इतनी कि पूरी नहीं होती
बेहतरीन ..।
मानिन्द सी जिन्दगी है, इक बार तो मिल जा |
जाना है अब जहां से, इक बार तो मिल जा |
ख्वाहिशें इतनी कि पूरी नहीं होती
कमबख्त, ये जिंदगी मौका नहीं देती|
वाह क्या बात कह दी।
हजारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पर दम निकले !
यही तो कहा आपने भी ...
बेहतरीन !
क्या बात है, बहुत बढिया।
ज़िन्दगी मौक़ा नहीं देती -
सुन्दर रचना .
बिना एहसास के जी रहा हूँ ,
इसलिए की जब कभी एहसास लौटें ,
खैर मकदम कर सकूं .
I LIKE THIS POST ..
वाकई ये ज़िन्दगी मौका नही देती...बहुत सुन्दर
sachaayi ko uker diya thode shabdo me.
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