शनिवार, 24 सितंबर 2011

286. ज़िन्दगी शिकवा करती नहीं (तुकांत)

ज़िन्दगी शिकवा करती नहीं

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चलते-चलते मैं चलती रही, ज़िन्दगी कभी ठहरी नहीं
ख़ुद को जब रोक के देखा, ज़िन्दगी तो बढ़ी ही नहीं। 

क़िस्मत को कैसा रोग लगा, ज़िन्दगी कभी हँसती नहीं
वक़्त ने कैसा ज़ख़्म दिया, ज़िन्दगी शिकवा करती नहीं। 

कई भ्रम पाले जीने के वास्ते, ज़िन्दगी भ्रम से गुज़रती नहीं
रोज़-रोज़ तड़पती है, ज़िन्दगी चाहती मगर मरती नहीं। 

थक-थक गई चल-चलकर, ज़िन्दगी चलती पर बढ़ती नहीं
दम टूट-टूट जाता है मगर, ज़िन्दगी हारती पर मरती नहीं। 

क्यों न करूँ सवाल तुझसे ख़ुदा, ज़िन्दगी क्या सिर्फ़ मेरी नहीं?
'शब' मग़रूर बेवफ़ा ही सही, ज़िन्दगी क्या सिर्फ़ उसकी नहीं?

- जेन्नी शबनम (23. 9. 2011)
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16 टिप्‍पणियां:

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

zidngi kaa aek bhtrin sch kaa flsfaa pesh kiya hai mubark ho ..akhktar khan akela kota rajsthan

रविकर ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना|
धन्यवाद ||

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

Prem Prakash ने कहा…

बहुत खूब लिखती हैं आप...बधाई एक सुंदर रचना के लिये...!

mridula pradhan ने कहा…

चलते चलते मैं चलती रही
ज़िन्दगी कभी ठहरी नहीं,
ख़ुद को जब रोक के देखा
ज़िन्दगी तो बढ़ी हीं नहीं !

bahut sahi aur sunder kavita ......

सदा ने कहा…

कई भ्रम पाले जीने के वास्ते
ज़िन्दगी भ्रम से गुजरती नहीं,
रोज़ रोज़ तड़पती है मगर
ज़िन्दगी मरना चाहती नहीं !
बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Unknown ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना .

"गद्य रस" को समर्पित इस सामूहिक ब्लॉग में आयें और फोलोवर बनके उत्साह बढ़ाएं.

**काव्य का संसार**

vandana gupta ने कहा…

सुन्दर भावाव्यक्ति।

प्रेम सरोवर ने कहा…

शबनम जी, जिंदगी हमें चला-चला कर थका देती है लेकिन अपने कभी भी नही थकती । जिंदगी भी एक अजीब चीज है - किसी ने इसे नजदीक से देखा और अनुभव किया है तो किसी ने दूर से । जिन लोगों को यह मिल जाती है वे कहते हैं आज मुझसे जिंदगी मिली थी लेकिन जो लोग कुछ हासिल नही कर पाते हैं वे बस सब कुछ इस बेचारी जिंदगी पर छोड़ कर वैठ जाते हैं । पोस्ट अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।

विभूति" ने कहा…

सुन्दर रचना....

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

ऐ जिन्दगी तुझे इतना तो हंसी कभी पाया नहीं ?
आज के बाद गम कभी मेरे नजदीक आया नहीं ?
बहुत सुंदर ...जिन्दगी की कशमकश ..

अजय कुमार ने कहा…

दम टूट टूट जाता है मगर
ज़िन्दगी हारती पर मरती नहीं

खूबसूरत रचना , बधाई ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

सहज साहित्य ने कहा…

सही कहा जेन्नी शबनम जी , जीवन में हार -जीत तो होती रहती है; लेकिन इस हार जीत से ज़िन्दगी नहीं मरती ।

Rohit Singh ने कहा…

बहुत ही अच्छी पंक्कियां..गुनगुना रहा हूं आज...

Udan Tashtari ने कहा…

सच है जिन्दगी शिकवा नहीं करती...बढ़िया रचना.