मौसम बदलेगा
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देह की बात मन की आँच कोई न समझा
रुदन-क्रंदन कोई न सुना
युग बीता, सब टूटा सब पथराया
धूमिल आस, संबल नहीं पर विश्वास
देर सही, मौसम बदलेगा।
- जेन्नी शबनम (12. 1. 2012)
- जेन्नी शबनम (12. 1. 2012)
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20 टिप्पणियां:
बेहतरीन रचना...बधाई...
नीरज
देह की बात
मन की आँच
सब पथराया
कहाँ कोई
समझ पाया
सुन्दर रचना ,खासकर ये लाइनें
धूमिल आस
संबल नहीं
पर विश्वास
देर सही
मौसम बदलेगा !
Bahut khoob!
यदि विश्वास है
तो इसमें कोई भी संदेह नही
कि मौसम जरूर बदलेगा.
सरल शब्द,गहन भाव.
आपकी प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.जेन्नी जी.
मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......
देर सबेर मौसम जरूर बदलेगा,.
सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन रचना....
--काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--
देर सही
मौसम बदलेगा !
zaroor.......
देह को कोई बसंत बनाये - कम होता है ...
देह की परिधि में देह मर जाता है
खूब-सूरत प्रस्तुति |
बहुत-बहुत बधाई ||
sundar kavy..
वाह!
बहुत बढ़िया!
लोहड़ी पर्व के साथ-साथ उत्तरायणी की भी बधाई और शुभकामनाएँ!
बस यही उम्मीद....कि मौसम बदलेगा,काफी है.
बहुत अच्छी रचना,सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन
नई रचना-काव्यान्जलि--हमदर्द-
देह की बात
मन की आँच
सब पथराया
कहाँ कोई
समझ पाया,
रुदन-क्रंदन
कोई न सुना
प्रतीक्षा क्यों
युग बीता
सब टूटा,
धूमिल आस
संबल नहीं
पर विश्वास
देर सही
मौसम बदलेगा !
जेन्नी....
जिस दिन इतनी समझ आये...
समझिये कि मौसम उसी दिन से बदल गया.....
देह की बात
मन की आँच
सब पथराया
कहाँ कोई
समझ पाया
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
बहुत सुन्दर..
उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है..
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
युग बीता
सब टूटा,
धूमिल आस
संबल नहीं
पर विश्वास
देर सही
मौसम बदलेगा !
-आस्था का मन्त्र , जो दिल को ताकत दे ।
जीवन के प्रति सकारात्मक सोच दर्शाती बहुत ही उम्दा रचना ....मौसम बदलेगा.......
आप के ब्लॉग पर मेरा ये प्रथम आगमन है, ख़ुशी हुई आप के ब्लॉग पर आकर...फोलो कर रही हूँ,उम्मीद है आना जाना लगा रहेगा .......
बहुत ही बढ़िया । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है ।
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