तेरे ख़यालों के साथ रहना है
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खिली-खिली-सी चाँदनी में
तेरे लम्स की सरगोशी
न कुछ कहना है न कुछ सुनना है
शब भर आज तेरे ख़यालों के साथ रहना है।
तेरी साँसों को छूकर गई हवा
मेरी साँसों में घुलती रही
पल में जीना है पल में मरना है
मुद्दतों का फ़ासला पल में तय करना है।
तेरे होठों की मुस्कुराहट में
तेरी आँखों की शरारत में
कभी खिलना है कभी तिरना है
अपने सीने में तेरी यादों को भरना है।
नस-नस में मचलती है
तेरे आने की जो ख़ुशबू है
कभी बहकना है कभी थमना है
मेरे आशियाँ में बहारों को रुकना है।
तू अपनी नज़र से न देख
मेरे ज़ीस्त की दुश्वारियाँ
ज़ख़्म बहुत गहरा है बहुत सहना है
'शब' के दिल में हर दर्द को बसना है।
- जेन्नी शबनम (26. 3. 2012)
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28 टिप्पणियां:
न कुछ कहना है न कुछ सुनना है
शब् भर आज तेरे ख्यालों के साथ रहना है !
bas itna hi kafi hai...!
sunder ehsaaspoorn rachna ...!!
shubhkamnayen ...!!
नस नस में मचलती है
तेरे आने की जो खुशबू है
कभी बहकना है कभी थमना है
मेरे आशियाँ में बहारों को रुकना है !
just beautifullllll
तू अपनी नज़र से न देख
मेरे जीस्त की दुश्वारियाँ
ज़ख़्म बहुत गहरा है बहुत सहना है
'शब्' के दिल में हर दर्द को बसना है !
Behad sundar!
सबसे बड़ा प्यार और लगाव ! सुन्दर कविता !
अंतिम छंद झट से इक नया मोड़ ले लेता है |
बधाई डाक्टर ।।
Pal me jeena hai pal me marna hai ....Muddato ka fasla pal me tay kerna hai ...
Ati sunder abhivyakti...
सार्थक सृजन किया है आपने!
बहुत ही सुन्दर,प्रेममयी,रचना.....
भावो का सुन्दर संयोजन.....
बेहतरीन रचना...
वाह!!!!!बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
तू अपनी नज़र से न देख
मेरे जीस्त की दुश्वारियाँ
ज़ख़्म बहुत गहरा है बहुत सहना है
'शब्' के दिल में हर दर्द को बसना है !
बहुत खूब क्या बात है , मुबारक हो
वाह !!!!! बहुत सुंदर रचना,क्या बात है
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
नस नस में मचलती है
तेरे आने की जो खुशबू है
कभी बहकना है कभी थमना है
मेरे आशियाँ में बहारों को रुकना है !
तू अपनी नज़र से न देख
मेरे जीस्त की दुश्वारियाँ
ज़ख़्म बहुत गहरा है बहुत सहना है
'शब्' के दिल में हर दर्द को बसना है !
प्रेम और विछोह का अद्भुत संगम है आपकी यह कविता । बहुत तीव्रता लिये हुए ! मन के तारों को झंकृत कर गई ।
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति, " सवाई सिंह "
छितराई हुई चांदनी को लफ़्ज़ों में पिरोती खुबसूरत नज़्म...
सादर बधाईयाँ.
खिली खिली सी चांदनी में
तेरे लम्स की सरगोशी
न कुछ कहना है न कुछ सुनना है
शब् भर आज तेरे ख्यालों के साथ रहना है !
कुछ कहने सुनने की ज़रुरत ही कहाँ पड़ती है ...इसके बाद तो ख़ामोशी अपनी ज़बान में बोलती है ....वह सब कुछ जो शब्द नहीं बयां कर सकते ....सिहरन छोडती रचना !
अति सुन्दर बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति...
सार्थक
दिनेश पारीक
मेरी नई रचना
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद:
http://vangaydinesh.blogspot.com/2012/03/blog-post_15.html?spref=bl
अति सुन्दर बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति...
सार्थक
दिनेश पारीक
मेरी नई रचना
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद:
http://vangaydinesh.blogspot.com/2012/03/blog-post_15.html?spref=bl
तू अपनी नज़र से न देख
मेरे जीस्त की दुश्वारियाँ
ज़ख़्म बहुत गहरा है बहुत सहना है
'शब्' के दिल में हर दर्द को बसना है !
bahut khoob
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति ...
आभार आपका !
नस नस में मचलती है
तेरे आने की जो खुशबू है
कभी बहकना है कभी थमना है
मेरे आशियाँ में बहारों को रुकना है ...
गहरे एहसास में डूबी हुयी ... प्रेम की रो में बहा ले जाती रचना ... लाजवाब ...
जेन्नी शबनम जी
नमस्कार !!
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
बहुर सुन्दर अभिव्यक्ति --------बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
तू अपनी नज़र से न देख
मेरे जीस्त की दुश्वारियाँ
ज़ख़्म बहुत गहरा है बहुत सहना है
'शब्' के दिल में हर दर्द को बसना है !
बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
वाह ...बहुत खूब ।
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,जेन्नी जी,
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
ओह! दीवानगी सी जगा रही है आपकी प्रस्तुति.
प्यार में समर्पण का अनुपम अहसास कराती.
एक और सुन्दर अभिव्यक्ति.. :)
कुछेक उर्दू के नए अलफ़ाज़ भी मिले..
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