कोई हिस्सेदारी नहीं
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मेरे सारे तर्क
कैसे एक बार में एक झटके से
ख़ारिज कर देते हो
और कहते कि तुम्हें समझ नहीं,
जाने कैसे
अर्थहीन हो जाता है मेरा जीवन
अर्थहीन हो जाता है मेरा जीवन
जबकि परस्पर
हर हिस्सेदारी बराबर होती है,
सपने देखना और जीना
साथ ही तो शुरू हुआ
रास्ते के हर पड़ाव भी साथ मिले
साथ ही हर तूफ़ान को झेला
जब भी हौसले पस्त हुए
एक दूसरे को सहारा दिया,
अब ऐसा क्यों
कि मेरी सारी साझेदारी बोझ बन गई
मैं एक नाकाम
जिसे न कोई शऊर है न तमीज़
जिसका होना, तुम्हारे लिए
शायद ज़िन्दगी की सबसे बड़ी भूल है,
बहरहाल
ज़िन्दगी है
सपने हैं
शिकवे हैं
पंख है
परवाज़ है
मगर अब हमारे बीच
कोई हिस्सेदारी नहीं!
- जेन्नी शबनम (21. 4. 2012)
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16 टिप्पणियां:
जिंदगी है सपने हैं शिकवे हैं पंख है परवाज़ है मगर अब हमारे बीच कोई हिस्सेदारी नहीं !
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
बहरहाल
जिंदगी है
सपने हैं
शिकवे हैं
पंख है
परवाज़ है
मगर अब
हमारे बीच
कोई हिस्सेदारी नहीं !.... ये रहा सार
जिंदगी की हकीकत इसी को कहते है.....!
बहुत सुंदर प्रस्तुति,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
बहरहाल जिंदगी है सपने हैं शिकवे हैं पंख है परवाज़ है मगर अब हमारे बीच कोई हिस्सेदारी नहीं !
बेहतरीन अभिव्यक्ति
टूटते रिश्तों का दर्द.. जब साझेदारी न रहकर सिर्फ जिम्मेदारी रह जाती है..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
मन की दुखती -पिराती बहुत सारी पर्तों को खोलती आपकी यह कविता सहृदय पाठक को झकझोरे बिना नहीं रहती । इन पंक्तियों का उत्तर देना किसी सच्चे सहयात्री का ही काम है । अधबीच में पीछे हटने वाले के पास इसका सही उत्तर नहीं होगा । आपकी ये पंक्तियाँ मान-प्राण को व्याकुल कर देती है - सपने
देखना और जीना
साथ ही तो शुरू हुआ
रास्ते के हर पड़ाव भी साथ मिले
साथ ही हर तूफ़ान को झेला
जब भी हौसले पस्त हुए
एक दूसरे को सहारा दिया,
अब ऐसा क्यों
कि मेरी सारी साझेदारी बोझ बन गई
मैं एक नाकाम
जिसे न कोई शऊर है
न तमीज़
जिसका होना
तुम्हारे लिए
ख़ूबसूरत भाव, सुन्दर रचना.
कृपया मेरी १५० वीं पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें , अपनी राय दें , आभारी होऊंगा .
बहरहाल
जिंदगी है
सपने हैं
शिकवे हैं
पंख है
परवाज़ है
मगर अब
हमारे बीच
कोई हिस्सेदारी नहीं !
यही जीवन का सत्य है।
बहुत बढि़या।
Bahut hi Sundar prastuti. Mere post par aapka intazar rahega. Dhanyavad.
आपकी कविता जीवन का सार है ....बस कभी ऐसी तो कभी इससे बिलकुल विपरीत परिस्तिथ्यियों का नाम ही जीवन है ....जीवन की विडम्बना की प्रभावपूर्ण प्रस्तुति
जिंदगी है
सपने हैं
शिकवे हैं
पंख है
परवाज़ है
मगर अब
हमारे बीच
कोई हिस्सेदारी नहीं !
jeevan ka shayad yahi sach hai
bahut bahut badhai
rachana
कल 27/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
टूटते सपनो की चुभन, मजधार में छोड़ी हुई कश्ती की कसक ,एक व्यथित हर्दय का दर्द कितना कुछ बयान कर रही है रचना सीधे दिल को छूती है यही इस रचना की खासियत है बहुत बधाई जेन्नी शबनम जी
बहुत बढ़िया ,सुंदर प्रस्तुति....
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