रविवार, 6 मई 2012

344. चाँद का दाग़ (क्षणिका)

चाँद का दाग़

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ऐ चाँद! तेरे माथे पर जो दाग़ है 
क्या मैंने तुम्हें मारा था? 
अम्मा कहती है- मैं बहुत शैतान थी 
और कुछ भी कर सकती थी। 

- जेन्नी शबनम (6. 5. 2012)
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22 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

बचपन की पहुँच चाँद तक ...
सुंदर रचना ...
शुभकामनायें ...

Rakesh Kumar ने कहा…

ऐसा लगता नहीं जेन्नी जी.
आप शैतान तो नहीं रहीं होंगीं.

पर अम्मा तो अम्मा हैं,बिटिया को
कुछ भी कह सकतीं हैं प्यार में.

kshama ने कहा…

Wah!

दीपिका रानी ने कहा…

बड़ा ही मासूम सवाल है। लगता है, कल पूर्णिमा का खूबसूरत चांद देखकर आपको यह ख्याल आया।

रविकर ने कहा…

बैठ खेलती रही गिट्टियां, संध्या पक्के फर्श पर |
खेल खेल में बढ़ा अँधेरा, खेल परम उत्कर्ष पर |

चंदा मामा पीपल पीछे, छुपे चांदनी को लेकर -
मैं नन्हीं नादान बालिका, फेंकी गिट्टी अर्श पर ||

sonal ने कहा…

:-) behad maasoom

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह...बहुत अच्छी भावपुर्ण प्रस्तुति,....

RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... क्या गज़ब की कल्पना है ...
शरारत भरे शब्द ...

सहज साहित्य ने कहा…

मुझे तो ऐसा ही लगता है बहन ! चाँद बेचारा अब तक अपना गाल सहला रहा होगा । खैर यह तो हुई हलकी -फुलकी बात । कभी-कभी ऐसी कविता और अधिक आनन्द दे जाती है । इसए पढ़कर मुझे पावनता का अहसास होता है ।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

:)

विभूति" ने कहा…

बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
अभिव्यक्ति.......

Pallavi saxena ने कहा…

कोमल भावों से सजी सुंदर रचना.... समय मिले आपको तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/

रविकर ने कहा…

होता चर्चा मंच है, हरदम नया अनोखा ।

पाठक-गन इब खाइए, रविकर चोखा-धोखा ।।

बुधवारीय चर्चा-मंच

charchamanch.blogspot.in

Sneha Rahul Choudhary ने कहा…

padhkar anaayas hi muskaan aa gayi chehre par :)

ZEAL ने कहा…

very sweet creation..

Nidhi ने कहा…

हा.हा..हा...सच कुछ भी आकर सकती हैं आप...किसी को भी हंसा सकती हैं...सुन्दर!!

Maheshwari kaneri ने कहा…

वाह: बहुत ही मासूम सवाल....

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

bada hi pyara hai bachpan ka masum swal

kavita vikas ने कहा…

bahut sundar

kavita vikas ने कहा…

bahut sundar

Satish Saxena ने कहा…

:)
सही है ...बचपन बनाएं रखिये यह हंसाने , में समक्ष है !

Madhuresh ने कहा…

हाहा.. चाँद भी मुस्कुरा उठा होगा ये पढ़कर!! :)