शनिवार, 13 मई 2017

546. तहज़ीब (क्षणिका)

तहज़ीब

*******  

तहज़ीब सीखते-सीखते  
तमीज़ से हँसने का शऊर आ गया  
तमीज़ से रोने का हुनर आ गया  
न आया तो तहज़ीब और तमीज़ से  
ज़िन्दगी जीना नहीं आया।  

- जेन्नी शबनम (13. 5. 2017)
____________________

3 टिप्‍पणियां:

PRAN SHARMA ने कहा…

Laajawaab .

Himkar Shyam ने कहा…

वाह, ख़ूब

tbsingh ने कहा…

sach kaha aapne aaj isi baat ki kami dikhai pad rahi hai