हमारी मातृभाषा
(6 हाइकु)
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1.
बिलखती है,
बेचारी मातृभाषा
पा अपमान।
2.
हमारी भाषा
बनी जो राजभाषा
है मातृभाषा।
3.
अपनी भाषा
नौनिहाल बिसरे,
हिन्दी पुकारे।
4.
रुलाते सभी
फिर भी है हँसती
हमारी हिन्दी।
5.
अपनों द्वारा
होती अपमानित
हिन्दी शापित।
6.
हिन्दी कहती-
तितली-सी उड़ूँगी
नहीं हारूँगी।
- जेन्नी शबनम (14. 9. 2022)
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10 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 15 सितंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बेहतरीन हाइकु ।
स्वयं सिद्धा है
राजभाषा हमारी
हिंदी दुलारी ।।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-09-2022) को "भंग हो गये सारे मानक" (चर्चा अंक 4554) पर भी होगी।
--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-09-2022) को "भंग हो गये सारे मानक" (चर्चा अंक 4554) पर भी होगी।
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कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह!लाजवाब !!
वाह, बहुत सुन्दर व सटीक हाइकु!
हिन्दी कहती-
तितली-सी उड़ूँगी
नहीं हारूँगी।
सुंदर कहा
सुंदर हाइकु
हिन्दी दिवस पर हिन्दी की स्मृद्धि पर सुंदर रचनाएं।
वाह
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