मंगलवार, 12 सितंबर 2023

762. पहली या अन्तिम बार

पहली या अन्तिम बार

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याद करने के लिए कुछ ख़ास ज़रूरी होता है   

मसलन पहली या अन्तिम बार मिलना   

किसी ख़ास वक़्त में किसी ख़ास जगह पर मिलना   

चाय-कॉफ़ी पर चर्चा करना   

प्यार की बातें करनासंसार की बातें करना   

सुख-दुःख बाँटना   

बिना बात किए चुपचाप चलना   

बेवजह मुस्कुरानाकिसी बात पर आँखें भर जाना   

या और भी बहुत कुछ जो साझा किया जाता है   

पहली या अन्तिम बार।   

कोई भी बात   

दूसरी बार के बाद विस्मृत हो जाती है   

पहली और अन्तिम के बीच का वक़्त   

 मुट्ठी में टिकता है  ज़ेहन में   

सब कुछ सपाट व सरपट भाग जाता है   

जाने ऐसा क्यों है?   

निशान तो होता है समय के पास   

पर दिखता कुछ नहीं   

हाँख़ुद को याद दिलाना होता है   

पहली और अन्तिम के बीच   

कुछ बहुत ख़ास जो गुज़रा होता है   

जीवन के वे सभी पल जो बीत चुके होते हैं   

उस वक्त को मुठ्ठी में समेटना   

और ज़ेहन में भरना ज़रूरी है   

क्या मालूम   

कालचक्र पहली और अन्तिम यादें मिटा दे   

फिर कुछ तो रह जाएगा यादों में   

जीवन के संध्या में मुस्कुराने के लिए   

या अन्तिम क्षणों में सब जी लेने के लिए।   


-जेन्नी शबनम (11.9.2023)

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4 टिप्‍पणियां:

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

एक अनूठी बात कही है आपने जिसका मूल्य समझा जाना चाहिए।

Pammi singh'tripti' ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 सितंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

Onkar ने कहा…

सुन्दर

How do we know ने कहा…

wahh!!!