प्रिय है मुझे मेरा पागलपन
*******
क़ुदरत की बैसाखी मिली
मैं जी सकूँ ये क़िस्मत मेरी
इसीलिए ख़ुद से ज़्यादा
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क़ुदरत की बैसाखी मिली
मैं जी सकूँ ये क़िस्मत मेरी
इसीलिए ख़ुद से ज़्यादा
प्रिय है मुझे मेरा पागलपन।
कुछ भी कर लूँ, माफ़ न करो
नहीं स्वीकार, कोई एहसान मुझे
सच कहते हो, मैं पागल हूँ
होना भी नहीं मुझे, तुम्हारी दुनिया जैसा
मैं हूँ भली, अपने पागलपन के साथ।
नहीं स्वीकार, कोई एहसान मुझे
सच कहते हो, मैं पागल हूँ
होना भी नहीं मुझे, तुम्हारी दुनिया जैसा
मैं हूँ भली, अपने पागलपन के साथ।
कहते हो तुम
छोड़ आओगे मुझको, किसी पागलखाने में
आज अब राज़ी हूँ
इस दुनिया को छोड़, उस दुनिया में जाने को,
चलो पहुँचा दो मुझे
प्रिय है मुझे मेरा पागलपन!
- जेन्नी शबनम (7. 9. 2010)
_________________________
priye hai mujhe mera pagalpan
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qudrat ki baisaakhi mili
main ji sakun ye qismat meri,
isiliye khud se jyaada
priye hai mujhe mera pagalpan.
kuchh bhi kar loon, maaf na karo
nahin svikaar, koi yehsaan mujhe
sach kahte ho, main pagaal hun
hona bhi nahin mujhe, tumhaari duniya jaisa
main hun bhali, apne pagalpan ke saath.
kahte ho tum
chhod aaoge mujhko, kisi pagalkhaane mein
aaj ab raazi hun
is duniya ko chhod, us duniya mein jaane ko,
chalo pahuncha do mujhe
priye hai mujhe mera pagalpan!
- Jenny Shabnam (7. 9. 2010)
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छोड़ आओगे मुझको, किसी पागलखाने में
आज अब राज़ी हूँ
इस दुनिया को छोड़, उस दुनिया में जाने को,
चलो पहुँचा दो मुझे
प्रिय है मुझे मेरा पागलपन!
- जेन्नी शबनम (7. 9. 2010)
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priye hai mujhe mera pagalpan
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qudrat ki baisaakhi mili
main ji sakun ye qismat meri,
isiliye khud se jyaada
priye hai mujhe mera pagalpan.
kuchh bhi kar loon, maaf na karo
nahin svikaar, koi yehsaan mujhe
sach kahte ho, main pagaal hun
hona bhi nahin mujhe, tumhaari duniya jaisa
main hun bhali, apne pagalpan ke saath.
kahte ho tum
chhod aaoge mujhko, kisi pagalkhaane mein
aaj ab raazi hun
is duniya ko chhod, us duniya mein jaane ko,
chalo pahuncha do mujhe
priye hai mujhe mera pagalpan!
- Jenny Shabnam (7. 9. 2010)
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12 टिप्पणियां:
bahut khub...
behtareen rachna...
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मेरे ब्लॉग पर इस मौसम में भी पतझड़ ..
जरूर आएँ..
रचना बाँच सुवासित मन हो!
पागलपन में भोलापन हो।
ऐसा पागलपन अच्छा है!
paagalpan hi zindagi kee saansen hain , asli saansen
पूछना नहीं कितनी पागल, कितनी पागल ,
आकाश में जितने बादल, उतनी पागल ....
दर-ब्-दर भटकती रही, जलती रही,
अरे - पाया खुद में ही , एक पागल …by Preeti
yeh pagalpan hi to khud ka satya hai, jine ki wajah hai...!
सच कहा आपने ये पागलपन भगवान से मिलाने के लिए काफी है. सुंदर अभिव्यक्ति.
दर्द की अभिव्यक्ति ...यह कहना कि यह पागलपन है ...कहीं मन को आरड कर जाता है ..आच्छी प्रस्तुति
Jenni ji
bilkul sahi kaha aapne. Es dunia ke pagal bhind me kho jane se ho sakta ho vo dunia achchhi ho
बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति है!
--
यह सूचना इस लिए दे रहा हूँ क्योंकि चर्चा मंच पत्रिका के आज के अंक में आपकी रचना ली गई है!
http://lamhon-ka-safar.blogspot.com/2010/09/priye-hai-mujhe-mera-pagalpan.html
सुंदर अभिव्यक्ति
काश ये पागलपन एक बार मिल जाये फिर और क्या चाहिये……………एक् बहुत ही गहन और बेहतरीन कविता।
वैसे तो ये दुनिया भी एक पागल खाना ही है .... पर अपने आप के पागल पन में रहना अच्छा रहता है ....
प्रिय है मुझे, मेरा पागलपन...
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कुदरत की
बैसाखी मिली
मैं जी सकूँ
ये किस्मत मेरी,
bahut sahi .....
ख़ुद से ज्यादा
प्रिय है मुझे
मेरा पागलपन !
bahut khub ...
कुछ भी कर लूँ
माफ़ न करो,
नहीं स्वीकार
कोई एहसान मुझे !
apane astitv ka sangharsh ...
सच कहते हो
मैं पागल हूँ,
haa ..sahi hai
पर होना भी
नहीं मुझे
तुम्हारी दुनिया जैसा,
sach me yah duniya bhi
ek vykti ki tarah
apani soch rakhati hai
us soch ki soch ka
kaunsa svtantr ansh hae ...?
ham
aap tum
kise pata ....
मैं हूँ भली अपने
पागलपन के साथ !
thik kaha aapne
apani pahchaan to honi hi
chahiuye
कहते हो तुम
चलो छोड़ आयें
मुझको किसी
पागलखाने में,
thik likha hai aapne ..
par yah kah jaate hai log
आज अब राज़ी हूँ
इस दुनिया को छोड़
उस दुनिया में जाने को,
apane pagal pan ke liye
sab kuchh chhodane ki baat
चलो पहुंचा दो मुझे
प्रिय है मुझे,
मेरा पागलपन!
bahut sundar ..bahut khub ..
ek ek shbdo me anubhut sach chhipa hai
kya baat hai ..
drd ..drd hi
__ जेन्नी शबनम __ ७. ०९. २०१०
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