तय था
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तय था
प्रेम का बिरवा लगाएँगे
फूल खिलेंगे और सुगंध से भर देंगे
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तय था
प्रेम का बिरवा लगाएँगे
फूल खिलेंगे और सुगंध से भर देंगे
एक दूजे का दामन हम।
तय तो था
अंजुरी में भर, खुशिया लुटाएँगे
तय तो था
अंजुरी में भर, खुशिया लुटाएँगे
जब थककर
एक दूजे को समेटेंगे हम।
तय यह भी था
मिट जाएँ बेरहम ज़माने के हाथों
एक दूजे को समेटेंगे हम।
तय यह भी था
मिट जाएँ बेरहम ज़माने के हाथों
मगर, दिल में लिखे नाम
मिटने न देंगे कभी हम।
मिटने न देंगे कभी हम।
तय यह भी तो था
बिछड़ गए गर तो
एक दूजे की यादों को सहेजकर
अर्घ्य देंगे हम।
बस यह तय न कर पाए थे
कि तय किए सभी
सपने बिखर जाएँ
फिर
क्या करेंगे हम?
- जेन्नी शबनम (30 . 1 . 2011)
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22 टिप्पणियां:
प्रेम का बिरवा लगायेंगे
फूल खिलेंगे और
सुगंध से भर देंगे
एक दूजे का दामन हम !
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यही तो जीवन का सार है!
'बस ये तय न कर पाए थे
...............................
......क्या करेंगे हम '
बहुत ही सुन्दर रचना ...
बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?
kya baat hai dost end bahut ki kamaaal hai. bahut khoob
बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?
फिर से नए सपने सजा लेना ..जिन्दगी में यही तो होता है ..पर जिन्दगी कब कहाँ रूकती है ...बहुत सुंदर
बहुत ही सुन्दर रचना शबनम जी ! कितनी खूबसूरती से मन की पीड़ा को शब्द दिए हैं आपने ! वाह ! बधाई एवं शुभकामनायें !
आज ४ फरवरी को आपकी यह सुन्दर भावमयी पोस्ट चर्चामंच पर है... आपका आभार ..कृपया वह आ कर अपने विचारों से अवगत कराएं
http://charchamanch.uchcharan.com/2011/02/blog-post.html
बहुत ही मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति है शबनम जी !
बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?
हृदय को अंदर तक भिगो गयी आपकी रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |
तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |
तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |
तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |
तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |
तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |
जीवन के रंगों को बहुत सुंदर ढंग से चित्रित किया है आपने। बधाई।
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ध्यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।
बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?
मन की पीड़ा की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
सुन्दर अभिव्यक्ति ..अहसासों की कोमल अभिव्यक्ति कहने सुनने से बहुत दूर अहसासों की दुनिया..बधाई
बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?
उपर्युक्त पंक्तियों का अन्तर्द्वन्द्व मन को मथ देता है और इसका उत्तर तलाश करना सचमुच बहुत कठिन है ।प्रत्येक शब्द की मार्मिकता सिर चढ़कर बोलती है ।
बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?
इन पंक्तियों में निहित अन्तर्द्वन्द्व ही इस कविता की सबसे बड़ी शक्ति है । अर्थ की कई छटाएँ अनुस्यूत हैं।
जब प्रेम इतनी ढेर सारी संवेदनाओं से भरा हो तो उससे जुड़े सपनों का बिखरना असंभव है |और हाँ यादें हिस्सा बन जाती हैं मन और ह्रदय का ,उन्हें सहेजने की क्या जरुरत ?दिल के हर एक कोने को झंकृत करती रचना
बहुत खूब...मन मोह लिया आपने जेन्नी जी...।
बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम
bahut achcha likhtin hain aap lekin udas kar dee apki kavita...
कविता का अंत बहुत सुंदर है, यही कविता की जान है।दिल के दर्द को सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है जेन्नी। बधाई।
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