नन्हे हाथों में
*******
नामुमकिन हो गया
उस सफ़र पर जाना
जहाँ जाने के लिए
बारहा कोशिश करती रही,
मर्ज़ी नहीं थी
न चाह
पर यहाँ रुकना भी बेमानी लगता रहा,
ठीक उसी वक़्त
जब काफ़िला गुज़रा
और मैंने कदम बढ़ा दिए
किसी ने मुझे रोक लिया,
पलटकर देखा
दो नन्हे हाथ
आँचल थामे हुए थे,
रिश्तों की दुहाई
जीवन पलट गया
मेरे साथ उजाले की किरण न थी
पर उम्मीद की किरण तो थी
उन नन्हे हाथों में।
- जेन्नी शबनम (नवम्बर 1995)
_______________________
*******
नामुमकिन हो गया
उस सफ़र पर जाना
जहाँ जाने के लिए
बारहा कोशिश करती रही,
मर्ज़ी नहीं थी
न चाह
पर यहाँ रुकना भी बेमानी लगता रहा,
ठीक उसी वक़्त
जब काफ़िला गुज़रा
और मैंने कदम बढ़ा दिए
किसी ने मुझे रोक लिया,
पलटकर देखा
दो नन्हे हाथ
आँचल थामे हुए थे,
रिश्तों की दुहाई
जीवन पलट गया
मेरे साथ उजाले की किरण न थी
पर उम्मीद की किरण तो थी
उन नन्हे हाथों में।
- जेन्नी शबनम (नवम्बर 1995)
_______________________
11 टिप्पणियां:
जब भले ही हमारे पास उजाले की कोई किरण न हो कोई आस न हो मगर तब भी यह नन्हे सुमन अपनी उम्मीदों की किरण से हमारे जीवन को जीने की वजह दे ही देते हैं।... खूबसूरत रचना।
बहुत सुन्दर...
नन्हे हाथ...
इन्हें कोई कैसे टाले..कैसे ठुकराए..
नन्हें हाथों की उम्मीद साँसें बन चलती जाती हैं ...
Bahut,bahut sundar!
"मेरे साथ
उजाले की किरण न थी
पर उम्मीद की किरण तो थी
उन नन्हे हाथों में !"
जिंदगी के कई निर्णय ऐन मौके पर ऐसे ही बदल दिए जाते हैं....
और ये बदलाव जीवन में possitive दृष्टिकोण ही लाते है....
बस,धैर्य चाहिए उसी क्षण रुकने का.....
जब कि पाँव बढ़ने वाले हों...
अब,रोकने वाले कोई नन्हें से हाथ हो सकते हैं...
या फिर आपका आपना विचलित मन.....!!
बहुत सुन्दर भाव समेटे हैं।
एक भी हो तो भी ..उम्मीद की किरण तो है...
बहुत बढ़िया रचना
सही कहा। ये नन्हे हाथ ही जीवन की दिशा बदल देते हैं।
bahut sunder, bahut hi bhavpurn rachna .........
नन्हे हाथों में आशा की किरणें , वाह क्या सुंदर व सकारात्मक भाव हैं, बधाई...
एक टिप्पणी भेजें