मतलब
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न मुझे पसंद है न तुम्हें
यूँ तुमने कभी मना नहीं किया कि न बताऊँ
पर जिस अनमने भाव से सब सुनते हो
समझ आ जाता है कि तुमको पसंद नहीं आ रहा
हमारे बीच ऐसा अनऔपचारिक रिश्ता है कि
हम कुछ भी किसी को बताने से मना नहीं करते
परन्तु
सिर्फ़ कहने भर को कहते हैं
सुनने भर को सुनते हैं
न जानना चाहते हैं, न समझना चाहते हैं
हम कोई मतलब नहीं रखते
एक दूसरे के
सुख से, दुःख से, ज़िन्दगी से, फ़ितरत से
बस एक कोई गाँठ है
जो जोड़े हुए है
जो टूटती नहीं
शायद इस लिए हम जुड़े हुए हैं
अपना-अपना मतलब साध रहे हैं।
- जेन्नी शबनम (20. 4. 2014)
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12 टिप्पणियां:
कहीं से जुड़े हैं इसलिये निभाए जा रहे हैं-और करें भी क्या !
Seedhe - saade shabdon mein gahree
baat kee abhivakti ke liye aapko
badhaae . khoob kahaa hai aapne -
Bas ek gaanth hai
jo jode huye hai
jo toottee nahin
shaayad
isliye hum jude huye hain
apna - apna matlab saadh rahe hain
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (21-04-2014) को "गल्तियों से आपके पाठक रूठ जायेंगे" (चर्चा मंच-1589) पर भी है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर
एक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: ''इंसानियत''
कई बार इस गाँठ को तोडना मुश्किल होता है ... पर नियति को बदलना भी तो आसान नहीं होता .. भावपूर्ण रचना ...
बस एक कोई गाँठ है
जो जोड़े हुए है
जो टूटती नहीं
मतलब की हम एक दूजे को अपने सर पर ढो रहें हैं , यह भी भारतीयता की बड़ी पहचान है .... और सफर यूँ ही पूरा हो जाता है सुन्दर
शायद यही आज के रिश्तों का सच है...बहुत सुन्दर और भावपूर्ण..
निबाह ही जीवन हो गया है !! मंगलकामनाएं आपको !
एक अनदेखी सी गॉंठ है, जो सबको जोड़ती है
वाह जिंदगी का इतना बड़ा सच कितनी सरलता से लिख दिया....बहुत खूब दीदी
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ......
sach hai kuchh rishte bandh jate hain par unmein ham apna dil khol kar nhi rakh paate. achhi rachna
shubhkamnayen
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