सोमवार, 1 सितंबर 2014

466. घर आ जा न (बारिश के 8 हाइकु) पुस्तक 57, 58

घर आ जा न 

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1.
बरसा नहीं 
भटक-भटकके 
थका बादल।  

2.
घूँघट काढ़े  
घटा में छुपकर  
सूर्य शर्माए।  

3.
बादल फटा 
रुष्ट इंद्र देवता 
खेत सुलगा।  

4.
घूमने चले 
बादलों के रथ पे 
सूर्य देवता।  

5.
अम्बर रोया 
दूब भीगती रही 
उफ़ न बोली।  

6.
गुर्राता मेघ 
कड़कता ही रहा 
नहीं बरसा।  

7.
प्रभाती गाता 
मंत्र गुनगुनाता 
मौसम आता। 

8.
पानी-पानी रे  
क्यों बना तू जोगी रे  
घर आ जा न।  

- जेन्नी शबनम (3. 7. 2014) 
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8 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर हाइकू...

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना बुधवार 03 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुंदर हाईकू ।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

sundar lage sare ....

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर हाइकु...

Asha Joglekar ने कहा…

कभी कहर बरपाती कभी रूठ कर दूर जाती
क्यूं रे बारिश,
सुन भी ले हमारी गुजारिश ।

बारिश न आने के भी हाइकू पर सुंदर।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लाजवाब हाइकू हैं सभी ... बरखा का एहसास लिए ...

Unknown ने कहा…

लाजवाब हाइकू