मंगलवार, 15 सितंबर 2020

685. यादें, न आओ (यादें पर 10 हाइकु) पुस्तक -117,118

 यादें, न आओ

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1. 
मीठी-सी बात   
पहली मुलाक़ात   
आई है याद।  

2. 
दुःखों का सर्प   
यादों में जाके बैठा   
डंक मारता।     

3. 
गहरे खुदे   
यादों की दीवार पे   
ज़ख़्मों के निशाँ।     

4. 
तुम भी भूलो,   
मत लौटना यादें,   
हमें जो भूले।   

5. 
पराए रिश्ते   
रोज़ याद दिलाते   
देते हैं टीस।     

6. 
रोज़ कहती   
यादें बचपन की-   
फिर से जी ले।     

7. 
दिल दुखाते   
छोड़ गए जो नाते,   
आती हैं याद।     

8. 
पीछा करता,   
भोर-साँझ-सा चक्र   
यादों का चक्र।     

9. 
यादों का पंछी   
दाना चुगने आता   
आवाजें देता।     

10. 
दुःख की बातें,   
यादें, न आओ रोज़,   
जीने दो मुझे।     

- जेन्नी शबनम (15. 9. 2020)
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8 टिप्‍पणियां:

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (18-09-2020) को   "सबसे बड़े नेता हैं नरेंद्र मोदी"  (चर्चा अंक-3828)   पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।  
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 
सादर...!--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

Kamini Sinha ने कहा…


रोज़ कहती
यादें बचपन की -
फिर से जी ले!
बहुत सुंदर सृजन वर्षा जी,सादर नमन

Jyoti khare ने कहा…

वाह
बहुत सुंदर सृजन

अनीता सैनी ने कहा…

वाह !बेहतरीन दी 👌👌

Sudha Devrani ने कहा…

लाजवाब हायकु...
वाह!!!
दुख की बातें,
यादें, न आओ रोज़,
जीने दो मुझे!

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar ने कहा…

दिल में बसी
मिटीं न जो कभी भी
वे यादें ही हैं.